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पहली बार मां बनी हैं तो ऐसे करे अपने शिशु की देखभाल


ऐसे करे अपने शिशु की देखभाल

इन दिनों माता-पिता अपने शिशुओं को लेकर अधिक चिंतित हैं। शिशु की देखभाल कैसे, कब, क्यों, और कहाँ तक होती है, यह सब उनके दिमाग में चलता रहता है। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को पारंपरिक रूप से बढ़ाने में विश्वास करते हैं, और कुछ पूरी तरह से डॉक्टरों के कहे अनुसार चलते हैं। इन दोनों में, कई लोग इस बात को लेकर भ्रमित हो जाते हैं कि उनके बच्चे के लिए क्या बेहतर है। पूरी कहानी यह है कि यह माता-पिता को तय करना है, खासकर उस माँ को जो ये जानती है कि उनके शिशु के उससे अच्छा और कोई नहीं सोच सकता। दूसरे जो कहते हैं, उसे मत सुनो। यदि कुछ भी नहीं जानते हैं तो बुरा महसूस न करें। सिर्फ एक शिशु का जन्म नहीं होता शिशु के साथ एक मां का भी जन्म होता है। कई चीजें हैं जो आपको धीरे-धीरे सीखनी होती हैं जैसे कि अपने बच्चे को कैसे संभालना है, कब खिलाना है, कैसे उसकी देखभाल करना है, उन्हें कब सुलाना है,डायपर कब बदलना है इत्यादि। अगर कोई कहे कि "कैसी मां हैं इसे तो ये भी नहीं पता, इसे अनदेखा करें। तुम बस अपने दिल की सुनो। अपने बच्चे की देखभाल के बारे में जानें, इंटरनेट पर शोध करें, अपने माता-पिता, दादा दादी से पूछें, और अंत में, यह आप ही को तय करना है कि आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छा क्या है।अपने बच्चे को प्यार और देखभाल अपने तरीके से करें। सभी माँ,आप अद्भुत हैं और अद्भुत काम कर रहे हैं।


 ऐसे करे अपने शिशु की देखभाल

फिर भी, मैं आपके साथ उन चीजों को साझा करना चाहती हूं जो आपके बच्चे की देखभाल में मदद कर सकती हैं।

 ऐसे करे अपने शिशु की देखभाल
  • अपने बच्चे को संभालने से पहले अपने हाथों को धो लें (या हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें)। नवजात शिशुओं में अभी तक एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली नहीं है, इसलिए उन्हें संक्रमण का खतरा है। सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को संभालने वाले सभी के हाथ साफ हैं।
  • आपको हमेशा याद रखना चाहिए कि आपका शिशु बहुत नाजुक है और आपको अपने शिशु का ख्याल रखना चाहिए। इसलिए शिशु को उठाते समय उसके सिर और गर्दन को ठीक से पकड़े रहें, जैसे उनको सपोर्ट दे रहे हों। एक हाथ सिर और गर्दन के नीचे और एक हाथ पैर के नीचे रखें और फिर पालने के झूले की तरह बच्चे को सपोर्ट दें। 
  • बच्चे को ज़ोर-ज़ोर से ना हिलाएं इससे बच्चे के सर में खून जमने की खतरा होता है।
  • बच्चे के सोते समय ज़ोर से पंखा ना चलाएं क्योंकि इससे नवजात शिशु को साँस लेने में मुश्किल होती है।
  • चाहे आप कपड़े का डायपर या डिस्पोजेबल का उपयोग कर रही हों, आपको कुछ तथ्यों के बारे में यकीन से पता होना चाहिए जैसे डायपर का उचित स्टॉक होना। शिशु को डायपर वाली स्किन पर रैशेज हो सकते हैं इसलिए उस स्किन को सोप-फ्री वाइप्‍स से साफ करना जरूरी है।
  • जन्म के बाद शिशु का ज्यादातर समय सोने यानी नींद में गुजरता है। आप उन्हें जबरन नींद से उठाने की कभी भी कोशिश न करें। इससे उसका विकास प्रभावित हो सकता है।अगर शिशु जगा हुआ है, तो जबरदस्ती सुलाने की कोशिश भी न करें। दरअसल, कई शिशु रात के बजाय दिन में सोते हैं। इससे मां की जीवनशैली भी प्रभावित होती है। इसके लिए आपको चाहिए कि उसे दिन-रात के बीच अंतर समझाएं। दिन में उसके आसपास रोशनी रहने दें और हल्का-फुल्का शोर भी होने दें। रात में कमरे में मंद रोशनी रखें और माहौल शांत रखें। इससे उसका रूटीन धीरे-धीरे सही हो  जाएगा।
  • नवजात शिशुओं को उनके शुरुआती छह महीने में केवल मां के दूध की ही जरुरत होती है। यह शिशु को सभी जरुरी पोषक तत्व प्रदान करता है। अपने शिशु को 6 महीने तक जरुर ब्रेस्‍टफीडिंग कराएं फीडिंग कराने के बाद अपने शिशु को डकार दिलाना बहुत जरूरी है ताकि उसके पेट में गैस ना बनें।
  • अगर आप अपने शिशु को स्तनपान  नहीं करा सकती तब दूध को बोतल से पीला देना चाहिए।हर बार दूध पिलाने से पहले बोतल को उबालना बहुत जरूरी है, दूध पिलाने से संबंधित जीतने भी सामान है जैसे बोतल, निप्पल, ढक्कन, निप्पल का रिंग, चम्मच इत्यादि सभी को किसी अच्छे प्रॉडक्ट के बोतल धोने के तरल पदार्थ से धोने के बाद ही उबालें।बोतल को कम से कम 20 मिनट तक ढक कर उबाले, आजकल बाज़ार मे बोतल उबालने की मशीन भी उपलब्ध है।जब भी बच्चे को दूध पिलाना हो तो गोद मे लेकर ही पिलाये, नहीं तो दूध कान मे जाने का डर बना रहता है। इसलिए गद्दे पर लेटाकर दूध न पिलाये।
  • कुछ बच्चे कोमल भाब होते हैं उन्हें रौशनी और शोर-गुल से थोड़ी  परेशानी होती है और वो इसीलिए ज्यादा रौशनी या आवाज़ होने पर रोने लगते हैं। कुछ ऐसे भी शिशु होते हैं जो अन्य शिशुओं की तुलना में कम सोते हैं। ऐसे शिशुओं के सामने ज्यादा शोर गुल ना करें और उन्हें शांत माहोल दें।
  • शिशु के जन्म के पहले कुछ हफ्ते उन्हें कपडे से अच्छे से लपेट कर रखना चाहिए। इसके लिए आपको सही तरीके से बच्चे को लपेटना आना चाहिए। अगर आपको लपेटना नहीं आता है तो किसी Nurse या घर में बड़ों से पूछें। यह बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि इससे शिशु के हाँथ उसके शरीर के पास रहते हैं और बच्चों को पैरों को हिलाने में आसानी होती है।
  • अगर आपके क्षेत्र में मक्खी या मच्छर ज्यादा हैं तो शिशु के लिए एक नेट ज़रूर खैदें और उससे ढकें जिससे कि वह डेंगू, मलेरिया से दूर रहे।
  • शिशु को आप तभी नहलाएं जब बच्चे का उम्ब्लिकल कार्ड / गर्भ नाल ना गिरे और नाभि ठीक से सुख ना जाये (1-4 हफ्ते तक)नहलाने के लिए baby soap, baby shampoo,का उपयोग करें। नहलाने के बाद बच्चे को अच्छे से कोमल साफ़ तौलिये से पोछें 
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